Chalo Phir Se Muskuraye -Faiz Ahmad Faiz

Chalo Phir Se Muskuraye -Faiz Ahmad Faiz

Chalo Phir Se Muskuraye -Faiz Ahmad Faiz

चलो फिर से मुस्कुराएं,चलो फिर से दिल जलाएं
जो गुज़र गयी हैं रातें,उन्हें फिर जगा के लाएं
जो बिसर गयी हैं बातें,उन्हें याद में बुलायें

चलो फिर से दिल लगायें,चलो फिर से मुस्कुराएं



किसी शह-नशीं पे झलकी,वो धनक किसी क़बा की
किसी रग में कसमसाई,वो कसक किसी अदा की

कोई हर्फे-बे-मुरव्वत,किसी कुंजे-लब से फूटा
वो छनक के शीशा-ए-दिल,तहे-बाम फिर से टूटा



ये मिलन की, नामिलन की,ये लगन की और जलन की
जो सही हैं वारदातें,जो गुज़र गयी हैं रातें

जो बिसर गयी हैं बातें,कोई इनकी धुन बनाएं
कोई इनका गीत गाएं,चलो फिर से मुस्कुराएं

चलो फिर से मुस्कुराएं,चलो फिर से दिल जलाएं
-Faiz Ahmad Faiz
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