Ishq Laamhdood Jab Tak Rehnuma Hota Nahi-Jigar Moradabadi Shayari
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी का हक़ अदा होता नहीं
इस से बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं
सब जुदा हो जायेँ लेकिन ग़म जुदा होता नहीं
बेकराँ होता नहीं बे-इन्तेहा होता नहीं
क़तर जब तक बढ़ के क़ुलज़म आश्ना होता नहीं
ज़िन्दगी इक हादसा है और इक ऐसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
दर्द से मामूर होती जा रही है क़ायनात
इक दिल-ए-इन्साँ मगर दर्द आश्ना होता नहीं
इस मक़ाम-ए-क़ुर्ब तक अब इश्क़ पहुँचा है जहाँ
दीदा-ओ-दिल का भी अक्सर वास्ता होता नहीं
अल्लाह अल्लाह ये कमाल-ए-इर्तबात-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
फ़ासले हों लाख दिल से दिल जुदा होता नहीं
वक़्त आता है इक ऐसा भी सर-ए-बज़्म-ए-जमाल
सामने होते हैं वो और सामना होता नहीं
क्या क़यामत है के इस दौर-ए-तरक़्क़ी में “ज़िगर”
आदमी से आदमी का हक़ अदा होता नहीं
-Jigar Moradabadi Shayari
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