Sad shayari
Barq
nazro ko,baad-e-sawachal ko,aur zulfo ko kali ghata keh diya..
Meri
aankho me sawan ki rut aayi,jab
deed-e-yar ko maikhada keh diya..
Mai
kaha jurrat-e-lab khusayi kaha,tauba tauba junoon ki ye be-tabiya ..
roobaroo
jinke nazre bhi uthti na thi,Unke muh par uhne bewafa keh diya…
बर्क़ नज़रो को बाद -ए -सवाचाल को ,और ज़ुल्फो को काली घटा कह दिया
मेरी आँखों में सावन की रुत आयी ,जब दीद -ए यार को मैख्दा कह दिया
मै कहा जुर्रत -ए -लब खुशयाई कहा ,तौबा -तौबा जूनून की ये बेताबियाँ
रूबरू जिनके नज़रे भी उठती ना थी ,उनके मुँह पर उन्हें बेवफा कह दिया
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मेरी आँखों में सावन की रुत आयी ,जब दीद -ए यार को मैख्दा कह दिया
मै कहा जुर्रत -ए -लब खुशयाई कहा ,तौबा -तौबा जूनून की ये बेताबियाँ
रूबरू जिनके नज़रे भी उठती ना थी ,उनके मुँह पर उन्हें बेवफा कह दिया
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Khayal
ko kisi aahat ki aas rehti hai,
nigaaho ko kisi surat ki pyas rehti hai,
nigaaho ko kisi surat ki pyas rehti hai,
Tere
begair kisi cheez ki kami to nahi,
magar tabiyat udas rehti hai…
magar tabiyat udas rehti hai…
ख्याल को किसी आहट की आस रहती है
निगाहो को किसी सूरत की प्यास रहती है
तेरे बगैर किसी चीज़ की कमी तो नहीं
मगर तबियत उदास रहती है
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निगाहो को किसी सूरत की प्यास रहती है
तेरे बगैर किसी चीज़ की कमी तो नहीं
मगर तबियत उदास रहती है
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Muddat
huyi thi hoth hamare sile huye,
kal sham wo mile to unhi se gile huye..
kal sham wo mile to unhi se gile huye..
Wo
keh rahe hai dard jo baksha hai jist hai,
jo zakham de chuke hai wafa ke sile huye…
मुद्दत हुई थी होठ हमारे सिले हुए
कल शाम वो मिले तो उन्ही से गीले हुए
वो कह रहा है दर्द जो बक्शा है जीस्त है
जो ज़ख़्म दे चुके है वफ़ा के सिले हुए। ..
jo zakham de chuke hai wafa ke sile huye…
मुद्दत हुई थी होठ हमारे सिले हुए
कल शाम वो मिले तो उन्ही से गीले हुए
वो कह रहा है दर्द जो बक्शा है जीस्त है
जो ज़ख़्म दे चुके है वफ़ा के सिले हुए। ..
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Jo
tune baksha wo gum kaha nahi jata,
ye shola aisa hai jiska dhua nahi hota,
ye shola aisa hai jiska dhua nahi hota,
Talab
hai khushi ki mujko janam se,
pata nahi kyu mera muqaddar meharbaa nahi hota..
जो तूने बक्शा है वो गम कहा नहीं जाता
ये शोला ऐसे है जिसका धुआँ नहीं होता
तलब है ख़ुशी की मुझको जनम से
पता नहीं मेरा मुक़्क़दर मेहरबां नहीं होता...
❤❤❤❤
Is dil se teri yaad bhulayi nahi jati,
pata nahi kyu mera muqaddar meharbaa nahi hota..
जो तूने बक्शा है वो गम कहा नहीं जाता
ये शोला ऐसे है जिसका धुआँ नहीं होता
तलब है ख़ुशी की मुझको जनम से
पता नहीं मेरा मुक़्क़दर मेहरबां नहीं होता...
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Is dil se teri yaad bhulayi nahi jati,
ye pyar ki daulat hair roz lutayi nahi jati,
Kis
dil se kehdu ke tmhe dil se bhula du,
har roz to ye duniya basayi nahi jati..
इस दिल से तेरी याद भुलाई नहीं जाती
ये प्यार की दौलत रोज़ लुटाई नहीं जाती
किस दिल से केह दू के तम्हे दिल से भुला दू
हर रोज़ तो ये दुनिया बसाई नहीं जाती...
har roz to ye duniya basayi nahi jati..
इस दिल से तेरी याद भुलाई नहीं जाती
ये प्यार की दौलत रोज़ लुटाई नहीं जाती
किस दिल से केह दू के तम्हे दिल से भुला दू
हर रोज़ तो ये दुनिया बसाई नहीं जाती...
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