khawabo ke sahar ka musafir hu,koi to meri bazm
me aao..
mai khawaab likhta hu,koi to aawaaz lagao...
खवाबो के शहर का मुफसिर हू कोई तो मेरी बज़्म में आओ
मै खवाब बेचता हु कोई तो आवाज़ लगाओ। .
खवाबो के शहर का मुफसिर हू कोई तो मेरी बज़्म में आओ
मै खवाब बेचता हु कोई तो आवाज़ लगाओ। .
na umeed-e-ulfat rakhna mujse,na koi ilzaam lagana...
mai mukhatib hu sirf khudse,tum muje bhool jao...
न उम्मीद -ए -उल्फत रखना न कोई इलज़ाम रखना
मै मुखातिब हू बस खुद से तुम मुझे भूल जाओ..
न उम्मीद -ए -उल्फत रखना न कोई इलज़ाम रखना
मै मुखातिब हू बस खुद से तुम मुझे भूल जाओ..
mai shok-e-hijra bhi hu,or sadiq-e-bazm bhi...
ishq tasleem karne se pehle tum muje aazmao...
मै शोक-ए -हिजरा भी हो और सादिक़ -ए -बज़्म भी...
इश्क़ तस्लीम करने से पहले तुम मुझे आज़माओ
इश्क़ तस्लीम करने से पहले तुम मुझे आज़माओ
maang he lo mujse mai jakaat-e-dil bhi karta hu...
par tum muje apni keemat to batao...
मांग ही लो मुजकसे मै जकात -ए -दिल भी करता हू
पर तुम मुझे अपनी कीमत तो बताओ
मांग ही लो मुजकसे मै जकात -ए -दिल भी करता हू
पर तुम मुझे अपनी कीमत तो बताओ
aisa nahi ke koi bikta na ho bazar me...
"dard" hazir hai koi daam to lagao....ऐसा नहीं कोई बिकता न हो बाजार में
दर्द हाज़िर है कोई दाम तो लगाओ
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